Ad

बायोगैस प्लांट

गौशालाओं से होगी अच्छी कमाई, हरियाणा सरकार ने योजना बनाई

गौशालाओं से होगी अच्छी कमाई, हरियाणा सरकार ने योजना बनाई

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने जनपद फतेहाबाद में स्थित स्वामी सदानंद प्रणामी गौ सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट(Swami Sadanand Parnami Charitable Trust) के वार्षिक उत्सव में संबोधन के उपरांत "अपना घर" में रहने वाले दीनहीन बेसहारा लोगों से उनका दुःख दर्द एवं हाल चाल जाना। साथ ही गौ नस्ल की बेहतरी के वैज्ञानिक तरीकों को प्रचलन में लाने का आग्रह किया।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि गौशालाओं में गौवंश के संरक्षण एवं उसके मूत्र व गोबर से उत्पाद निर्मित करने की अत्यंत आवश्यकता है, जिससे गौशालाएं किसी पर निर्भर न रहें। इसी सन्दर्भ में उपमुख्यमंत्री द्वारा लाडवा की गौशाला का जिक्र करते हुए कहा है, कि वहां गोबर एवं मूत्र के प्रयोग से विभिन्न प्रकार के उत्पाद निर्मित किये जा रहे हैं, जो गौशालाओं की आय का स्त्रोत बन रहे हैं। इसी के मध्य चौटाला ने कहा कि गाय के गोबर से पेंट भी बनाया जा सकता है, जिसका पिंजौरा की एक गौशाला उत्तम उदाहरण है।

ये भी पढ़ें: गाय के गोबर से बन रहे सीमेंट और ईंट, घर बनाकर किसान कर रहा लाखों की कमाई
 

हरियाणा राज्य के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि समस्त सरकारी संस्थानों में गाय के गोबर से निर्मित पेंट का इस्तेमाल हो, इसके लिए वह हर संभव कोशिश करेंगे। उनकी इस पहल से और भी गौशालाओं को प्रोत्साहन मिलेगा, साथ साथ इसी तरह से गौशालाओं में बायोगैस प्लांट स्थापित कर रसोई गैस बनाई जा सकती है जो आय का प्रमुख स्त्रोत भी बन सकता है, बायोगैस प्लांट स्थापित करने के लिए हरियाणा सरकार सहयोग करेगी।

चौटाला ने की सोलर प्लांट लगवाने की घोषणा

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने जनपद फतेहाबाद में स्तिथ स्वामी सदानंद प्रणामी गौ सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के वार्षिक उत्सव में संबोधन के उपरांत "अपना घर" में रहने वाले दीनहीन बेसहारा लोगों से उनका दुःख दर्द एवं हाल चाल जाना। आश्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आये दुष्यंत चौटाला ने रक्तदान शिविर में खुद रक्तदान किया एवं गौसेवा के साथ ही फतेहाबाद के स्वामी सदानंद गौ सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट आश्रम में स्वयं कोष से सोलर प्लांट लगवाने का एलान किया। गौवंश को अच्छे तरीके से रखने के लिए राज्य सरकार सम्पूर्ण प्रयास करेगी।

ये भी पढ़ें: गाय के गोबर से किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने उठाया कदम

दीनहीन लोगों की सहायता कर सराहनीय कार्य किया जा रहा है।

वार्षिक उत्सव के दौरान हरियाणा उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है, कि संस्थान स्थापित करना बेहद सरल है जबकि, संस्थान को बेहतर तरीके से निरंतर चलाना बेहद कठिन है। श्रीकृष्ण प्रणामी आश्रम गौशाला के साथ-साथ ''अपना घर'' के माध्यम से दीनहीन व असहाय प्राणियों की सेवा की जा रही है। उन्होंने कहा कि गौ संरक्षण हेतु गौशाला निर्माण व वैज्ञानिक तरीकों से गायों की नस्ल बेहतरी के साथ दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की अत्यंत आवश्यकता है। दुष्यंत चौटाला ने बताया, कि लगभग 40 वर्ष पूर्व गीर नस्ल के गौवंश को भारत से ही ब्राजिल ले जाया गया था। गीर नस्ल जो अब ब्राजील में ७० से ७२ लीटर तक रोजाना दूध देती हैं, एवं उन लोगों के आय का मुख्य स्त्रोत भी बनी है।

गाय के गोबर से किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने उठाया कदम

गाय के गोबर से किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने उठाया कदम

नई दिल्ली। केन्द्र की मोदी सरकार लगातार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए नए नए प्रयोग कर रही है। अब मोदी सरकार ने एक महत्वपूर्ण योजना बनाई है। 

योजना के तहत गाय के गोबर को बायोगैस के रूप में प्रयोग किया जाएगा, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। पूरे भारत वर्ष में तकरीबन 30 करोड़ मवेशी हैं और घरेलू गैस की लगभग 50 फीसदी आवश्यकता, गाय के गोबर (Cow Dung) से बनी बायोगैस से पूरी हो सकती है। 

इनमें कुछ हिस्सा एनपीके उर्वरक (NPK - Nitrogen, Phosphorus and Potassium) में बदला जा सकता है। उधर सरकार की प्राथमिकता के अनुरूप गाय के गोबर के मुद्रीकरण से डेयरी किसानों की आमदनी बढ़ाने की संभावनाएं बढ़ेंगी।

ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ की राह चला कर्नाटक, गौमूत्र व गाय का गोबर बेच किसान होंगे मालामाल! 

सरकार ने डेयरी किसानों की आय बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की एक नई सहायक कंपनी एनडीडीबी मृदा लिमिटेड (NDDB MRIDA) का शुभारंभ किया है, जिसके तहत केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय को एक वैधानिक स्थान मिलेगा। 

दूध, डेयरी उत्पाद, खाद्य तेल और फलों व सब्जियों का निर्माण, विपणन और बिक्री करने वाले किसानों को इसका फायदा मिलेगा। 

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने खाद प्रबंधन के लिए एनडीडीबी की सहायक कंपनी एनडीडीबी एमआरआईडीए लिमिटेड का लोकार्पण किया - इस प्रेस रिलीज़ (Press Release) का पूरा दस्तावेज पढ़ने के लिए, यहां क्लिक करें

कैसे बनेगी गाय के गोबर से बायोगैस

गाय के गोबर से बायोगैस बनाने के लिए सबसे पहले पशुओं से प्रतिदिन उपलब्ध गोबर को इकट्ठा करना होता है, जो गोबर की मात्रा तथा गैस की संभावित खपत के आधार पर होगा। 

सरल तरीके से माना जाए तो, संयंत्र में एक घन मीटर बायोगैस प्राप्त करने के लिए गोबर 25 किग्रा प्रति घन मीटर क्षमता के हिसाब से प्रतिदिन डालना जरूरी है, जिसका औसत प्रति पशु और प्रतिदिन के हिसाब से डालना चाहिए।

ये भी पढ़ें: कुवैत में खेती के लिए भारत से जाएगा 192 मीट्रिक टन गाय का गोबर

बायोगैस बनाने में कितना समय लगेगा

बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) या गोबर गैस प्लांट लगवाने के लिए आपको सबसे पहले कृषि विभाग में आवेदन पत्र दाखिल करना चाहिए। इसके बाद कृषि विभाग अपनी टीम भेजकर अच्छा प्लांट तैयार करेंगे। 

करीब 5 से 7 दिन के अंदर यह प्लांट तैयार हो जाता है। इसके बाद इसमें 50 फीसदी गोबर और 50 फीसदी पानी भरा जाता है। कुछ समय बाद ही इसमें बैक्टीरिया एक्टिव हो जाते हैं और ऑक्सीजन के अभाव में मीथेन (Methane) गैस बनना शुरू हो जाती है।

खेतों में बायोगैस प्लांट बनवाकर करें अपना खर्चा कम, यह सरकार दे रही सब्सिडी

खेतों में बायोगैस प्लांट बनवाकर करें अपना खर्चा कम, यह सरकार दे रही सब्सिडी

खेतों में केमिकल का इस्तेमाल करना चाहिए, एक से दो बार तो फसल का उत्पादन अच्छा हो जाता है। लेकिन उसके बाद फसल धीरे धीरे बंजर होने लगती है। खेत में फसलों का उत्पादन भी कम होने लगता है।

इस समस्या से किसान काफी ज्यादा परेशान हैं और उसके समाधान को लेकर भी कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस समस्या का समाधान है, कि जैविक खेती की जाए। 

गोबर से बनी खाद से ना सिर्फ मिट्टी में जीवांशों की संख्या बढ़ जाती है, बल्कि फसल की उत्पादकता भी बेहतर मिलने लगती है। चाहे केंद्र सरकार हो या फिर राजा सरकार सभी जैविक खेती को बढ़ावा देने पर लगे हुए हैं। सरकारों द्वारा इससे जुड़ी हुई अलग-अलग तरह की योजनाएं हाउस के सामने आती रही हैं। 

इसी समस्या के समाधान में सरकार ने बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) स्थापित करने की भी सलाह दी है। यह किसानों और पशुपालकों के लिए अतिरिक्त आय का सृजन करने में मददगार है। 

अब अगर आप यह सुनकर परेशान है कि वह कैसे बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) की स्थापना कर सकते हैं और इसमें तो उन्हें अच्छा खासा खर्चा करना पड़ेगा तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। 

अब बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) की स्थापना के लिए किसानों को आर्थिक मदद भी मिल रही है। इस कड़ी में हरियाणा सरकार ने भी किसानों से आवेदन मांगे हैं। 

ये भी देखें: पंजाब के गगनदीप ने बायोगैस प्लांट लगाकर मिसाल पेश की है, बायोगैस (Biogas) से पूरा गॉंव जला रहा मुफ्त में चूल्हा

कितनी मिलेगी सब्सिडी

हरियाणा सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार किसानों को घन मीटर के हिसाब से अनुदान राशि दी जाएगी। 

जैसे कि 1 घन मीटर से लेकर 2-4 घन मीटर, 6 घन मीटर का बायोगैस प्लांट लगाने पर अनुदान दिया जाएगा। साथ ही सरकार द्वारा सामान्य और एससी-एसटी वर्ग के लिए यह राशि अलग-अलग निर्धारित की गई है।

  • 1 घन मीटर आकार वाले बायोगैस प्लांट की स्थापना के लिए जनरल केटेगरी/ सामान्य वर्ग को 9,800 रुपये और एससी-एसटी वर्ग को 17,000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा।
  • 2 से 4 घन मीटर आकार वाले बायोगैस प्लांट लगाने वाले सामान्य वर्ग के लोगों को 14,350 रुपये तो वहीं एससी-एसटी वर्ग को 22,000 रुपये की मदद मिलेगी।
  • 6 घन मीटर आाकर का बायोगैस संयंत्र बनाने की लागत पर सामान्य वर्ग के आवेदकों को 22,740 रुपये और एससी-एसटी वर्ग को 29,250 रुपये अनुदान का प्रावधान है।

कहां कर सकते हैं आवेदन

किसान जो किसानी के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं। तो आप आसानी से अपने खेत में गोबर गैस प्लांट यानी कि बायोगैस प्लांट लगवा सकते हैं। इसके लिए आपको जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में जाना होगा। 

जहां से आपको परियोजना अधिकारी सारी जानकारी दे देंगे। अधिक जानकारी के लिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग या हरियाणा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (HAREDA) की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर भी विजिट कर सकते हैं। 

बायोगैस संयंत्र की स्थापना पर सब्सिडी का लाभ लेने के लिए आप अधिकारी वेबसाइट पर जाकर भी आवेदन दे सकते हैं। http://biogas.mnre.gov.in पर करें आवेदन मांगे गए हैं। 

किसान चाहें तो ई-मित्र केंद्र या सीएससी सेंटर की मदद से सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

बायोगैस प्लांट लगाने पर क्या फायदा होगा

आजकल गांव में खेती के साथ-साथ पशुपालन भी काफी लोकप्रिय हो रहा है। इसका ज्यादातर कारण है कि बाजार में दूध और दूध से बनने वाले उत्पादों की बहुत ज्यादा डिमांड है। 

लेकिन आप अब अपने पशुओं के वेस्ट से भी कमाई कर सकते हैं और इससे बेहतरीन कुछ नहीं हो सकता। पशुओं से मिलने वाले गोबर से आप बायोगैस प्लांट बना सकते हैं। जिससे आपके घर खर्च के साथ-साथ आपके आमदनी भी बढ़ जाती है। 

देखा जाए तो यह एक किस्म का साइकिल है। खेतों से पशुओं को चारा मिलता है। पशुओं से हमें गोबर मिलता है, जिसको हम बायोगैस प्लांट के आधार पर खाद बनाते हुए फिर से खेत में इस्तेमाल कर सकते हैं। ये गोबर दोबारा जैव उर्वरक, वर्मीकंपोस्ट या स्लरी के तौर पर फसलों या चारा उगाने के लिए खाद के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। 

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह जैविक खाद किसी भी केमिकल से ज्यादा अच्छा काम करता है। आपकी जमीन की गुणवत्ता को भी बनाए रखता है। 

अगर किसान अपने खेतों में बायोगैस प्लांट लगा लेते हैं। तो माना जा रहा है, कि वह अपनी खेती और घर का काफी ज्यादा खर्च बचा सकते हैं।

मथुरा में बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) बनाने जा रहा है अडानी ग्रुप, साथ ही, गोबर से बनेगी CNG

मथुरा में बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) बनाने जा रहा है अडानी ग्रुप, साथ ही, गोबर से बनेगी CNG

उत्तर प्रदेश के मथुरा में आने वाले बरसाने की श्रीमाता गौशाला से प्रति दिन 35 से 40 टन गोबर निर्मित होता है। इसलिए अडानी कंपनी द्वारा 200 करोड़ के खर्च से गोबर गैस प्लांट (Gobar Gas Plant) स्थापित कर रही है, जिसमें बायोगैस CNG सहित उर्वरक भी निर्मित किया जाएगा। 

जब भी गाय पालन एवं गौ सेवा की बात सामने आती है, तब मस्तिष्क में मथुरा-वृंदावन की एक छवि का दर्शन होता है। यहां पौराणिक काल से ही गाय पालन का विशेष महत्व है। पूर्ण विश्व ब्रज क्षेत्र को दूध हब के रूप में जानता है। 

परंतु, अब इसकी पहचान बायोगैस हब के रूप में की जाती है। हालाँकि, मथुरा में बहुत पहले से रिफाइनरी उपस्थित है। परंतु, फिलहाल निजी कंपनियां भी मथुरा के अंदर बायोगैस सीएनजी एवं खाद निर्मित करने हेतु निवेश किया जा रहा है।

भारत की बड़ी कंपनियों में शम्मिलित अडानी ग्रुप की टोटल एनर्जी बायोमास लिमिटेड द्वारा अब बरसाना स्थित रमेश बाबा की श्रीमाता गौशाला में बायोगैस प्लांट लगाने की योजना पर कार्य चल रहा है। 

आपको बतादें कि 200 करोड़ के खर्च से स्थापित होने वाला यह बायोगैस प्लांट सीएनजी सहित तरल उर्वरक नहीं निर्मित करेगा। जिसके लिए श्री माता गौशाला से प्राप्त होने वाले गोबर का उपयोग किया जाएगा। इस प्लांट हेतु किसानों एवं पशुपालकों से भी गोबर खरीदने की योजना है।

अडानी ग्रुप निर्मित करेगा सीएनजी (CNG) एवं गोबर

भारत की बड़ी गौशालाओं में शम्मिलित बरसाना की श्री माता गौशाला के अंदर गौ सेवा सहित आमदनी का सृजन भी होगा। खबरों के मुताबिक, तो अड़ानी टोटल गैस लिमिटेड द्वारा रमेश बाबा की श्री माता गौशाला से मिलकर समझौता हुआ है, जिसके अंतर्गत गौशाला की भूमि पर ही बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) स्थापित किया जाना है। 

इस 13 एकड़ में विस्तृत प्लांट 40 टन गोबर की क्षमता रखता है, जिससे कि 750 से 800 किलो तक सीएनजी की पैदावार उठायी जा सकती है। साथ ही, प्लांट से प्राप्त होने वाला तरल खाद भी किसानों को मुहैय्या कराया जाएगा। 

इस समझौते के अंतर्गत गौशाला के अंदर निर्मित किया जा रहा है। अडानी ग्रुप का बायोगैस प्लांट 20 वर्ष हेतु गौशाला की भूमि का उपयोग करेगा। जिसके बदले में गौशाला को किराया एवं गोबर के बदले भुगतान भी प्रदान किया जाना है।

केवल इतना ही नहीं, यहां निर्मित होने वाला बायोगैस CNG विक्रय कर जो आय होनी है। जिसका एक भाग गौशाला में गो सेवा पर भी व्यय होगा।

इन प्रसिद्ध डेयरियों ने भी बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) की स्थापना की है

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था जो कि कभी कृषि एवं पशुपालन पर आश्रित रहती थी। वह अब गोबर से आय के मॉडल को तीव्रता से अपना रही है। वर्तमान में बहुत से किसान-पशुपालक बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) स्थापित करके तरल खाद सहित व्यक्तिगत जरूरतों को पूर्ण करने हेतु बायोगैस का निर्माण कर रही हैं। 

इससे बहुत सारे घरों का चूल्हा चलता है। गोबर के मॉडल में तीव्रता से आने वाली वृद्धि से मुनाफा देखने को मिल रहा है। इसलिए वर्तमान में बहुत सारी कंपनियों द्वारा इस मॉडल पर निवेश किया जा रहा है। 

अडानी समूह से पूर्व अमूल कंपनी द्वारा भी गुजरात में भी ऐसा ही बायोगैस प्लांट स्थापित किया गया है। हरियाणा की वीटा डेरी द्वारा भी नारनौल में इसी तरह के प्लांट पर कार्य किया जा रहा है। 

ये भी देखें: पंजाब के गगनदीप ने बायोगैस प्लांट लगाकर मिसाल पेश की है, बायोगैस (Biogas) से पूरा गॉंव जला रहा मुफ्त में चूल्हा 

देश की कई बड़ी कंपनियां गोबर से करोड़ों की कमाई करने की तैयारी कर रही हैं. इसी गोबर से रसोई गैस और वाहनों में इस्तेमाल होने वाली सीएनजी गैस बनाई जा रही है. साथ ही,फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर भी बनाए जा रहे हैं.

बायोगैस पूर्व से ही निर्मित की जा रही है

किसान तक की रिपोर्ट के अनुसार, मथुरा के बरसाना स्थित रमेश बाबा की श्री माता गौशाला में पूर्व से ही एक बायोगैस प्लांट स्थापित किया गया है। जिससे प्रत्येक दिन 25 टन गोबर से बायोगैस निर्मित की जाती है। 

इस गैस के माध्यम से ही गौशाला रौशन रहती है। बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) से निकलने वाली गैस द्वारा 100 केवी का विद्युत जनित्र संचालित होता है। गौशाला के विभिन्न कार्यों हेतु विघुत आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।

मेरीखेती द्वारा किसान पंचायत का भव्य आयोजन किया गया, सरकारी वैज्ञानिकों द्वारा किसानों की सभी समस्याओं पर चर्चा

मेरीखेती द्वारा किसान पंचायत का भव्य आयोजन किया गया, सरकारी वैज्ञानिकों द्वारा किसानों की सभी समस्याओं पर चर्चा

मेरीखेती द्वारा जनपद बुलंदशहर के नरसेना गांव में आयोजित की गई किसान पंचायत में कृषि से संबंधित बड़े बड़े कृषि वैज्ञानिक एवं कृषि विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस पंचायत में गौ संरक्षण और मशीनरी के माध्यम से जैविक खेती की महत्ता के विषय में कृषि विशेषज्ञों एवं किसानों के बीच संवाद हुआ। इस किसान पंचायत के दौरान कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को गौ संरक्षण करने से होने वाले अनेकों फायदों के बारे में बेहतर ढ़ंग से जानकारी प्रदान की। इसके साथ साथ मशीनरी के माध्यम से किस तरह कृषि की जाए इसके संबंध में भी किसानों को बहुत सारी सलाह और महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। मांगेराम त्यागी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किसान यूनियन ने किसानों को गौ संरक्षण और आधुनिक मशीनरी से जैविक खेती करने के लिए आग्रह किया। साथ ही, उन्होंने मेरीखेती का आभार किया कि वह हर महीने किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के बीच एक कड़ी का कार्य करती है। डॉ विपिन कुमार एसोसिएट डायरेक्टर एग्रोनोमी कृषि विज्ञान केंद्र गौतम बुद्ध नगर ने किसानों को जैविक खेती से होने वाले लाभ और इसकी जरूरत को लेकर किसानों से वार्तालाप किया। उन्होंने कहा कि जैविक खेती से मृदा की उर्वरक शक्ति बने रहने के साथ साथ जन मानस की सेहत भी ठीक रहेगी।

ये भी पढ़ें:
इस राज्य में किसानों को जैविक खेती के लिए मिलेगा अनुदान, किसान शीघ्र आवेदन करें
डॉ रेशु सिंह सह प्राध्यापक पादप सुरक्षा एवं प्रभारी अधिकारी कृषि विज्ञान केंद्र बुलंदशहर ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वह अच्छा बीज, उर्वरक का संतुलित प्रयोग, उन्नत कृषि विधियों को अपनाना तथा सिंचाई की सुनिश्चित व्यवस्था आदि जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को सदैव कृषि विशेषज्ञों के सलाह मशवरा से करें। इससे उनको खेती किसानी में अच्छे परिणाम हांसिल होंगे। डॉ सी.बी. सिंह फॉर्मर सीनियर साइंटिस्ट कृषि विज्ञान IARI रीजनल स्टेशन पूसा बिहार & एक्स जॉइंट डायरेक्टर कृषि मंत्रालय भारत सरकार ने किसानों को कृषि की आधुनिक तकनीकों के विषय में काफी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि किसानों को अधिक मुनाफा पाने के लिए पारंपरिक खेती की लीक से हटकर आधुनिक एवं नवीन कृषि तकनीकों का उपयोग करना चाहिए। डॉ राजपाल सिंह प्रोफेसर अमर सिंह कॉलेज लखोटी बुलंदशहर ने किसान पंचायत में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि किसान एवं पशुपालकों को गौ संरक्षण पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। क्योंकि गौवंश आदिकाल से खेती किसानी का अभिन्न भाग रहा है। आज गाय के गोबर से नवीन व आधुनिक मशीनरी द्वारा बायोगैस प्लांट, पेंट और ना जाने कितने प्रकार के उत्पाद किए जा रहे हैं। यदि गौ संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगामी समय में दूध की जगह मिलावटी जहर पीने को मिलेगा। डॉ. प्रशांत सिंह सहायक प्रोफेसर मृदा और जल संरक्षण इंजीनियरिंग, नई दिल्ली में आईएआरआई से एम.टेक और पीएचडी ने किसानों से वार्ता करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में बेहतरीन उत्पादन अर्जित करने के लिए मृदा एक प्रमुख कारक होती है। इसलिए किसानों को फसल का चयन करने से भी पहले मृदा का परीक्षण अवश्य करना चाहिए। साथ ही, अत्यधिक उत्पादन की चाहत में इतना भी नहीं भूलें कि मृदा को जहरीले रसायनों से काफी नुकसान होता है। कुछ समय तक अच्छा उत्पादन मिल सकता है। लेकिन उसके पश्चात मृदा जहरीली और बंजर भी हो सकती है। इसलिए जैविक खाद का उपयोग करना सेहत और मिट्टी दोनों के लिए अच्छा होता है।